शिक्षा मेरे लिए अवसाद का एक प्याला
-" फहीम "
" सौ सुनार की एक लौहार की " कहावत बचपन में सुनी थी जिसे न समझा था और नहीं वो समझ में आई थी लेकिन पता नहीं कैसे जौक की तरह मुझसे आ लिपटी | एक गलती हुई और सौ सुनार की हो गई | एक गलती ने मेरी आधी से अभी अधिक गलतियों को जन्मा | एक गलती ने आज मेरे भविष्य को किसी अँधेरे टापू पर अवसाद के समुन्द्र पर छोड़ दिया हैं , जहाँ पहले-पहल अवसाद के इस टापू पर आना एक भावनात्मक क्रिया थी , वहीँ इसमें अब गोते लगाना एक राजनितिक षड्यंत्र का नतीजा हो गई | मेरी इस एक गलती का नाम है - शिक्षा |
बारहवीं के बाद मेरा जो खुद का यूटोपिया बना था , बड़ा ही कमाल का था | बाहर शहर में जाकर पढ़ना और पढ़ लिखकर एक अच्छी सी नौकरी और एक खूबसरत सी लड़की और खूब पैसा और एक अच्छा सा घर | मगर जब बाहर आया तो सपना छोड़ो , खुद को बचाना कोहे तूर के सामने खड़े होने क बराबर हो गया | फिर धीरे -धीरे मेरी सुविधा अनुसार शहर की दमक मुझे खाने लगी और अब तक खा रही है , मगर मैं अब भी उलझन में हूँ कि सही क्या था ? भैया या अब्बू ? या फिर मेरे वो सरे दोस्त जो आज नौकरी-दा हो गए है और मैं आज भी एक निरहा बुद्धू !
Bhut khoobsurat likha h faheem. .👍👍
ReplyDeleteKya baat bhai.
ReplyDeleteAwesome. .loved it.