Thursday 24 August 2017

" यमन जल रहा है " - सुहैल रिज़वी



                   " यमन जल रहा है "

                        - सुहैल रिज़वी -









        अरब जगत के सबसे गरीब देशों में गिना जाने वाला देश यमन जिसकी कुल आबादी का 82 प्रतिशत हिस्सा आज भयावह जीवन जीने को मजबूर है। यमन की राजनीतिक अस्थिरता का फायदा उठा कर बाहरी तत्वों द्वारा यमन को मानवीय संवेदनाओं का कत्लगाह बना दिया गया है।

         दक्षिणी यमन में अमेरिकी ड्रोन लगातार आम नागरिकों को निशाना बनाकर बम बरसा रहे हैं।  सऊदी अरब और उसके गठबंधित देशों द्वारा भी लगातार बमबारी की जा रही है जिसका धनात्मक उदाहरण तब देखने को मिला जब कुछ समय पहले शोक सभा में शामिल होने आए लोगों पर बम बरसाए गए जिसमें 140 से ज्यादा लोगों को जान गंवानी पड़ी और 500 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए । संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान की मून के अनुसार " यमन आग में जल रहा है और सऊदी गठबंधन लगातार स्कूल-अस्पताल और मस्जिदों पर बम बरसा रहा हैं। "
 
       अरब जगत के सबसे निर्धनतम देश यमन की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से आयात पर निर्भर। 70 फ़ीसदी इंधन, 90 फी़सदी खाद सामग्री और 100 फीसदी दवाइयां दूसरे देशों से आयात करता है लेकिन इस पर भी अमेरिकी नेवी द्वारा यमन के तटीय क्षेत्रों को पूरी तरह से सील कर दिया गया है जिसके कारण अपनी मूलभूत जरूरतों से भी यमन को भारी दिक़्क़तो का सामना करना पड़ रहा है ।

    यह स्थिति कितनी भयावह है। इस बात का अंदाजा यूनेस्को की रिपोर्ट से लगाया जा सकता है कि 14.1 लाख लोग अपनी आधारभूत स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित है तथा इतनी ही लोग खाद्य सामग्री के अभाव में जीवन जीने को मजबूर है और लगभग ढाई लाख लोग अपने घर को छोड़ने पर विवश है।

        संयुक्त राष्ट्र संघ के आकलन के अनुसार 26 मार्च २०१५ से अब तक दस हज़ार से ज्यादा लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा जिसमें बड़ी संख्या में बच्चें और महिलाएं शामिल थी और 2016 की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि यमन में सऊदी अरब द्वारा प्रतिबंधित क्लस्टर बम का इस्तेमाल किया गया है जो कि जिनेवा एक्ट का खुला उल्लंघन है दूसरी ओर ह्यूमन राइट्स वॉच नामक संगठन ने भी अपनी एक रिपोर्ट में सऊदी अरब को बड़े पैमाने पर हथियार बेचने के लिए यूएस UK और फ्रांस की आलोचना की है।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि यमन में UK निर्मित लंबी दूरी की मिसाइल क्लस्टर बम जैसे आदि हथियारों का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया गया है जिसके कारण हजारों लोगों की जान गई। सऊदी अरब के गठबंधन में शामिल होने वाले प्रमुख देश मिस्र, पाकिस्तान , कतर और तुर्की  हैं। अकेले सऊदी अरब के हिस्सों में 100 से ज्यादा अत्याधुनिक तकनीकी से लैस लड़ाकू विमान का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस गठबंधन के सदस्य देश लड़ाकू विमानों, पानी के जहाज व थल सेना के द्वारा यमन पर आक्रमक रूप से इख़्तियार किये हुए हैं। यही नहीं अफ्रीकी देश सूडान को सऊदी अरब और कतर ने साल 2015 में दो करोड़ डॅालर की आर्थिक सहायता दे कर इस गठबंधन का सदस्य बनाया।

     संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अगस्त 2016 में विद्रोही और सऊदी गठबंधन के बीच शांति वार्ता स्थापित करने का जरूरत प्रयास किया गया बताओ को लेकिन इस वार्ता को सबसे बड़ा सबसे बड़ा झटका जब लगा जब सऊदी अरब ने यमन पर हवाई हमलों को बंद नहीं किया इस पूरे परिदृश्य मैं सबसे ज्यादा आम नागरिकों को नुकसान झेलना पढ़ रहा है अगर संयुक्त राष्ट्र संघ में जल्द ही कोई कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो स्थिति और भी अमानवीय हो जाएगी।

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